गुरुवार, अक्तूबर 06, 2011

स्टीव जॉब्स की स्मृति में


हे स्वप्नदर्शी,
तुम कहां चल दिये,
उड़ कर,
बिना कुछ कहे.

कहीं ये दिन का अंत तो नहीं,
या तुम्हारा प्रयाण है,
नई सुबह के आगमन से पहले,
विश्राम का समय.

तुमने, आकार दिया,
स्वप्न को जो हम सबने देखा,
रंग दिया, तस्वीर को,
जो कहीं हमारे दिल में छुपी थी,
पंख दिये, आकाश दिया,

स्वप्नदर्शी,
तुम हमारे साथ हो,
तुम्हारी आंखों से ही देखेंगे,
हम रंगों भरी कल की सुबह,
तुम्हें नमन.

2 टिप्‍पणियां:

Rahul ने कहा…

Is dil ko dosto ki yad aati hai,
Jo is dil ko udaas kar jaati hai,
Koi puchta hai kitni yad aati hai,
Kuch keh nhi pate bas Aankh bar aati hai.

प्यार की बात ने कहा…

" सहसा पानी की एक बूँद के लिए " पढ़े प्यार की बात और भी बहुत कुछ Online.