शनिवार, अक्तूबर 20, 2012

सबब

क्यों हर सुबह तुम्हारी याद आ जाती है,
क्यों हर सहर तुम्हारी खुशबू बिखरा जाती है.

मैं जानता ही नहीं क्यों तुम्हारा नाम मेरी मुस्कुराहट बन गया है,
मैं जानता ही नहीं क्यों तुम्हारा होना मेरे होने का सबब बन गया है.

3 टिप्‍पणियां:

Veena ने कहा…

Mujhe aapki ye kavita bahut hi achi lagi... kya khoob likha hai aapne, bilkul naya sa ehsaas hua padh kar

सुषमा ने कहा…

यही सबब है कि जाये जा रहे हैं
वरना कब के उनके पीछे हो लिये होते...

बहुत अच्छा लिखते हैं आनन्द जी आप!

sangeeta modi shamaa ने कहा…

ye sach he aaj v tere nam ke sath hoti meri shahar he
teri hi yad ke sath me khwabo ki duniya bas jati he