बुधवार, अगस्त 19, 2009

सूरज - बाल कविता


सुबह रोज मैं आता हूं,
तुम सबको दौड़ाता हूं,
शाम को फिर मैं छुप जाऊं,
चंदा को आवाज लगाऊं,
मेरे प्यारे चलते रहना,
सपने सुंदर वुनते रहना.

1 टिप्पणी:

Veena ने कहा…

कोई जवाब नहीं बहुत ही प्रेरित करने वाली छोटी सी कविता !