मंगलवार, अक्तूबर 31, 2017

हमसफर

चलो कुछ वादे कर लेते हैं,
सफर की शर्तें तय कर लेते हैं,
मुझे झगड़ा पसंद नहीं,
क्योंकि रूठना तो तुम्हें खूब आता है.
मैटिनी में जब साथ पिक्चर देखेंगे,
तो मूंगफली के दाने बराबर से बांटेंगे,
तुम पहले सारे छिलके निकाल लेना,
और दाने अपने दुपट्टे में संभाल लेना.
नंगे पांव समंदर की रेत पर,
जब अपना घर बनाते हुए,
हम सीपियां इकठ्ठी करेंगे,
वो सीपियां तुम रख लेना,
बस शंख शंख मुझे छांटकर दे देना.
चाय की दुकान पर,
अपनी अपनी प्याली अलग लेंगे,
मुझे मालूम है तुम्हें चाय बहुत पसंद है,
पर बिस्किट एक ही लेंगे,
भले ही पहले तुम काट लेना.
तुम वादा करो कि,
चार बजे पक्का आ जाओगी,
क्योंकि मैं जानता हूं,
छह के बाद मैं तुम्हें रोक नहीं पाऊंगा,
और तुम्हारे आने और जाने,
के बीच के ये दो मिनट बहुत जल्दी गुज़र जायेंगे.
तुम वादा करो कि,
अब कभी इंकार नहीं करोगी,
तुम ध्यान रखना,
बहुत थोड़ी जिंदगी बाकी है,
और एक पूरा जीवन जीना बाकी है.
- आनंद 

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